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मोदी बनाम आडवाणी

Vikalp
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गोवा में सम्पन्न भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के सम्बन्ध में
पार्टी प्रवक्ता शाहनवाज़ हुसैन ने कहा था कि समुद्र किनारे चलनेवाले से
मंथन से अमृत कलश ही निकलेगा। अमृतकुम्भ के रूप में आगामी लोकसभा चुनाव
अभियान समिति की कमान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपकर
क्षीण हो चुकी पार्टी को पुनः शक्तिमान् बनाने की उम्मीद की जा रही है।
दीर्घ अन्तराल के पश्चात् लिये गये उत्कृष्ट निर्णय में पार्टी की बागडोर
दूसरी पीढ़ी के नेता को सौंपी गयी, जो कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा का
संचार करेंगे। हालाँकि निर्णय से पूर्व और सम्प्रति उपस्थित अन्तर्कलह से
पार्टी के भवितव्य के सन्दर्भ में जनता अभी पूर्णतयः आश्वस्त नहीं हुई
है। नीतिगत् निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के कारण कांग्रेस-विरोधी बने इस
माहौल को भुनाने के लिए ज़़रूरी है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा को
एक मज़बूत दावेदार के रूप में पेश किया जाये। पार्टी को कलह नहीं अपितु
कौशल का परिचय देना चाहिए। मोदी को फलक पर बैठाने क मतलब यह नहीं है कि
आडवाणी को रसातल में फेंक दिया जाये। इससे पार्टी का ही नुक़सान होगा। यदि
वह विभीषण का अवतार लेते हैं तो भाजपा की सोने की लंका ध्वस्त होने में
ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा। अतएव उन्हें संगठन में यथोचित स्थान दिया जाये
और उनके अनुभव व ज्ञान से लाभान्वित हुआ जाए। आडवाणी को भी चाहिए कि वह
जराहठ छोड़कर पार्टी की सलामती हेतु एक बार फिर से मोदी की ढाल बनकर खड़े
हों।

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