Vikalp
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एक विज्ञापन की पंचलाइन है कि दाग़ अच्छे होते हैं। आजकल की सियासत भी इसी लाइन पर चल रही है। मनरेगा, टूजी, कोलगेट, आगस्ता वेस्टलैण्ड आदि घोटाले और सीबीआई की जाँच प्रक्रिया में केन्द्र सरकार का अनुचित हस्ताक्षेप यही इंगित करते हैं कि आज भ्रष्टाचार-क़दाचार के मामले इनके लिए गर्व की बात है। सम्प्रति राजनीति में क़दम रखने और बने रहने के लिए कम-से-कम दो-तीन मर्डर, मारपीट, छेड़छाड़, सार्वजनिक संसाधनों की लूट, ठेकेदारी, उगाही, जनता को बेवकूफ़ बनाने का चातुर्य वग़ैरह आवश्यक-वांछनीय अर्हताएँ होती जा रही हैं। इस बिना पर एक संकल्पना है कि आज राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी चुनाव लड़ें तो सांसदी तो बहुत दूर की कौड़ी रही, उनके लिए प्रधानी का चुनाव जीतना भी मुश्क़िल हो जायेगा।
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