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टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जाँच के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति ने प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को क्लीनचिट दे दी है। समिति ने तत्कालीन संचार मंत्री ए.राजा को मुख्य आरोपी करार दिया। इसमें कहा गया कि राजा ने स्पेक्ट्र के आवंटन में प्रधानमंत्री कार्यालय और वित मंत्रालय को अँधेरे में रखा। ग़ौरतलब है कि इस घोटाले से कैग के अनुमानों के अनुसार देश को 1.76 लाख करोड़ रूपये की चपत लगी थी।
रिपोर्ट भेदभावपूर्ण है और वस्तुस्थिति सामने लाने में अक्षम रही है। समिति ने जाँच के दरम्यान संचार, प्रधान और वित मंत्री तीनों में किसी को भी गवाही देने लिए तलब नहीं किया। यह तो हास्यास्पद ही है। यह किसी के भी समझ से परे है कोई मंत्री मंत्रिपरिषद् के अगुवा प्रधानमंत्री को अँधेरे में रखकर संचार-जैसे मुद्दे पर फ़ैसला कर ले।
कान्ग्रेस ने स्वाभाविक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। पीसी चाको समिति ने शायद असली हंस की भूमिका नहीं निभाई तभी तो दूध का पानी और पानी का दूध हो गया। इससे जेपीसी और संसदीय गरिमा व प्रतिष्ठा को ठेस पहुँची है।
अनूप कुमार,
इलाहाबाद
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